Shayari
(1) वो करता है,मुहब्बत यूँ,
कि जैसे कोई बगावत हो,
वो मरता है, मुझपे यूँ,
की जैसे कोई आफ़त हो,
उसे मेरा ही होना था,
उसे मुझमे ही खोना था,
मगर फिर भी हक़ीक़त को,
ख्वाबों में ही सोना था।।
(2) हर वो कहानी जो,
दिखने में अधूरी है,
कौन जाने वो,
ऐसे ही पूरी है,
हर वो कहानी जो,
दिखने में पूरी है,
कौन जाने वो,
ऐसे भी अधूरी है।।
(3)मैंने अपनी मोहब्बत का ये अंजाम कर लिया,
उसको खुद से आज़ाद करके ,उसी के नाम कर दिया।।